भिक्षा, दान क्या है।क्यों करे।किसको करे

आपके द्वारा दी जाने वाली भीख आप पर अभिशाप तो नही बन रही
अपनी भावनाओं ,दया,अज्ञात भय का व्यापार ना होने दे।
आइए दान को समझे
 DONATION=DO+NATION
राष्ट्र निर्माण में दिया गया समय दान कहलाता है
समृद्ध राष्ट्र बनता है समृद्ध नागरिकों से।समृद्ध नागरिक की पहचान खुद का एवमखुद के परिवार का  रखना एवम अपने राष्ट्र के असमर्थ नागरिकों की मदद करना
असमर्थ नागरिकों की मदद में दिया गया समय, पैसा ,ज्ञान ,एक प्रकार का दान है
दान को अधिकांश लोग अर्थ याने पैसे से जोड़ते है
 दान क्या है
जिस प्रकार तन की शुद्धी जल से।मन की शुद्धी ध्यान से।भोजन की शुद्धी घी से।उसी प्रकार धन की शुद्धी दान से
दान  देना  एक स्वभाव होता है।जो बड़े भाग्यशाली लोगो को नसीब होता है .सब कुछ अस्थायी है आपका शरीर ,नाम, यश,जो चीज का निर्माण हुआ है उसका नाश तय है
पर एक ऐसा कर्म जो किसी और के लिया किया गया हो  उसका नाश नही होता उसका नाम दान है
दान के प्रकार
धन दान

तन दान

मन दान
बुद्धी दान
तन मन धन बुद्धि के दानों को अगर एक साथ देखने का सोभाग्य सिर्फ सिर्फ एक कन्या के मातापिता को मिलता है जिसे कन्यादान कहते है।

(अपने एक जिगर के टूकड़े को पाल कर अपना तन मन धन उस पर न्योछावर कर किसी और को देना कन्यादान से बड़ा कोई दान नही)

धन दान अधिकांश लोग करते है।उनमें से अधिकांश कोई अपने नाम शोहरत के लिये।उनमे से कुछ कोई स्वार्थ से। कुछ  चंद लोग ही दान अपेक्षा रहित करते है।
जहा आपने किये गए दान पर अपना नाम या अपने पूर्वजों का नाम लिखा दिया वो भी दान नही वो सिर्फ दूसरे लोगो को प्रेरित करने के लिये वो एक प्रेरणा दान का काम कर सकता है
"दान बाये हाथ से करो दाये हाथ को भी पता ना  चले"

अगर आप कोई सेवा कार्य मे लगे है जिसमे आप को कुछ ना मिले पर जरूरत मंदो को मिले ऐसा आपके द्वारा दिया गए समय,  भी एक समय दान है

दान किसको दे और क्यू दे
एक चोपाई है रामायण में
"संत बिटव सरिता गिरी धरनी
पर हित हेतु इनकी करनी"
अर्थात संत ,वृक्ष, नदी,पर्वत,धरती पर हित याने दूसरों के लिये ही बने है
हम गृहस्थ जीवन जीने वालों में पर हित के भाव जगाने वाली क्रिया दान है।
किसी के कोई अभाव को दूर करने की क्रिया दान है
भूखे को भोजन।मरीज को दवाई।अनाथ के नाथ ।निराश्रित को आश्रय।विकलांग के अंग।अँधे की आंखे बनना दान ,इनकी  इस सेवा में खर्च किया पैसा।समय।बुद्धी इस कलयुग में मानव सेवा सबसे बड़ा दान है।
दान को बड़ा छोटा समझना  सबसे बड़ा अज्ञान है
अपनी सामर्थ्य के अनुसार किया गया पर हित कार्य वो भले ही समय ।धन ।बुद्धि   के द्वारा करना और करे कार्य से दूसरों को परहित  के लिए प्रेरित करना आर्ट ऑफ गिविंग है
"कभी हार दाता की होती नही है ।
ना जीता कभी लेने वाला
भरेगी ना तेरी येह तृष्णा को झोली
थकेगा ना वो देने वाला
दान देने की कला बस इतना याद रखे ना आप देने वाले ।ना वो लेने वाला है
  कर्ता भाव से मुक्त हो    अहंकार झूठी प्रशंसा से बच कर दान करना एक बोहत बड़ी कला है ।किसी और को दान के लिये प्रेरित करना आर्ट ऑफ गीविंग है।औऱ दान देते वक़्त थोड़ा थोड़ा सभी से  अंशदान करवाना भी दिव्य गुण की निशानी है
दान देना अपने मानव जन्म को साबित करने के लिये दान देना

दान देना किसी गरीब से सीखे जो अपनी 1 . में से आधी दूसरे गरीब को  दे कर भूखा नही रखता  और आगे की कल पर छोड़ते है

वही हम आवश्यकताये पूरी होने के बाद भी किसी दूसरे की आवश्यकता पूरी करने के बजाए ता उम्र अपनी इच्छाओं के पीछे भागते रहते है जो कभी पूरी नही होती
"साई इतना दीजिये जा में कुटुंब समाय
में भी भूखा ना रहु।ना साधु भूखा जाय"


NO भिक्षा


www.krishnaguruji.com

Comments

KrishnaGuruji said…
www.divineastrohealing.com

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