पितृ दोष या पितृ कृपा

पितृ दोष या पितृ कृपा। श्राद्ध पक्ष का पखवाड़ा चल रहा हे। दक्षिण में इन्हे महालय,तमिलनाडु में अमावसाई ,केरल में कारीकड़ा वायुवली ,महाराष्ट्र में पितृ पंथरबड़ा कहा जाता है 1पितृ पक्ष क्या है। शास्त्रों के हिसाब से तीन ऋण एक इंसान पर होते हे। 1 देव ऋण। 2 ऋषि ऋण 3 पितृ ऋण आज की भाषा में जिनके माध्यम से यह पंच तत्व का शरीर मिला है उनको कृतज्ञता देना पितृ पक्ष है।जिस दिनाक को मृत्यु हुई उसी दिन हिंदी तारीख से गणना कर तिथि ज्ञात कर श्राद्ध पक्ष में वही तिथि को उनकी याद में उनकी पसंद का भोजन किसी ब्राह्मण जो भिक्षा ले कर जीवन गुजारता है। उसे आमंत्रित कर पितृ रूप में भोजन करवा मान सम्मान के साथ विदा किया जाता है।ऐसी कल्पना की जाती है की वह हमारे पितृ के रूप में भोजन करने आए थे।दिवंगत की पसंद का भोजन बनाया जाता है । 2 ब्राह्मण को ही भोजन क्यू। क्यू की ब्राह्मण ही भिक्षा भोजन का अधिकारी था।अतीत को देखे तो गुरुकुल हुआ करते थे जिसमे भिक्षा मांग खाना खाते थे एवम उसके बदले ब्राह्मण शिक्षा देते थे,पुरानी मान्यता के साथ अगर किसी भूखे को भोजन कराया जाए तो ज्यादा सार्थक होगा।क्यू की आज के युग में बहुत कम जन्म से कर्म से ब्राह्मण मिलेगे 3 गरिष्ठ खाना बनाना क्या अनिवार्य हैं पितृ का सफेद रंग जो शांति का प्रतीक है खीर जो सफेद होती है जिसमे चावल मिलाए जाते हे जिसका कभी नाश नही होता,इसके अलावा कद्दू तुरई गिलकी जिस पर लाइन होती है दूसरे शब्दों में जिनकी बेल होती है उनको बनाया जाता हे।आज के समय में गरिष्ठ भोजन सिर्फ खीर को छोड़ ना बनाए जिनके नाम से भोजन कराते है उनकी पसंद का खाना बनाए ।जरूरी नहीं गरिष्ठ भोजन को प्रसाद मन कर खाना जरूरी है आपके शरीर का ध्यान रखे तर्पण क्या है शास्त्रों के हिसाब से तीन ऋण एक इंसान पर होते हे। 1 देव ऋण। 2 ऋषि ऋण 3 पितृ ऋण मान्यता हे पितृ लोक में जल नही होता अतः जल समर्पित किया जाता है पितृ के नाम से हाथ की अलग अलग मुद्रा कर पितृ के पहले देवता ऋषियों को जल तर्पित किया जाता है,जल तर्पण करते वक्त सभी रिश्तों को क्रम से याद कर उनके नाम गोत्र से याद किया जाता है दूसरे शब्दों में सभी रिश्ते जो पंच तत्व छोड़ गए उनको यहां तक आपके मित्रो को भी याद किया जाता है। जिनके सहयोग से यह शरीर मिला जिनके सहयोग से आज तक सहयोग मिला उनके ना रहने पर उनको याद कर कृतज्ञता देने की विधि का नाम तर्पण है आज के युग के श्राद्ध तर्पण की विधि 1 जिस प्रकार हर व्यक्ति अपना जन्म दिन सेलिब्रेट करता है। उसी प्रकार व्यक्ति के ना रहने पर उसकी कृतज्ञता याद दिलाने के लिए 15 दिन आते है जिसमे सभी हिंदी तिथि आ जाती हे जिस भी माह में मृत्यु हुई हो पर तिथि हर 15 दिन में आती है श्राद्ध पक्ष की तिथि से मृत्यु तिथि का मिलान कर उस तिथि को उनकी पसंद का भोजन बना कर ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है पितृ पक्ष का अज्ञात भय सामान्यत श्राद्ध पक्ष में भय व्याप्त रहता है उम्मीद रहती है हमारे पितृ खुश होगे पितृ दोष टलेगा।पितृ कृपा होगी। इसका श्राद्ध पक्ष से कोई लेना देना नही। पितृ दोष ज्योतिष आपकी जन्म पत्रिका देख राहु सूर्य किस घर में है यह देख कर बताते हे पर पितृ का कभी दोष नही लगता ग्रहों का दोष उनकी क्रूरता के हिसाब से जरूर हो।आपके पितृ तो आपकी खुशी के लिए पूरा जीवन दे गए वह तो हमेशा आशीर्वाद ही देगे माता पिता की सेवा सदा करे इसके लिए यह शब्द का प्रयोग किया जाता है सच्चा श्राद्ध तो अगर श्राद्ध के दौरान या कभी भी आपकी आंखों से अश्रु रूपी जल उनकी याद में निकल जाए उस से बड़ा तर्पण श्राद्ध नही हो सकता

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