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MY DIWALI WISH CONDITIONAL?

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 Diwali greetings will strengthen your planets  For years, we have been celebrating the festival of Diwali, giving blessings from elders and love to the younger ones.  Since the last years and also due to Kovid, mutual   The interaction dwindled.   To come and go, she was also tied to her selfishness and ego.  If you think of going somewhere today, then the question comes, if he did not come, then why should I go.  We are not able to think about those people where our selfishness is attached to us, in rank, position, where we immediately reach and register our presence.   Why so  If his phone does not come, then why should I put it. I should not become small somewhere.  As soon as the festival comes, it is so that there should be harmony amongst themselves.  But instead of increasing interaction with each other, we want to keep more rapport with our selfishness, ego.  We take pride in our reputation by seeing congratulations on WhatsApp or Facebook with great status. But if you look ca

"आपका लालच अंधविश्वास बनाता हे ठग तांत्रिक"

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  " आपका लालच  अंधविश्वास बनाता हे ठग तांत्रिक" आज भी कई ऐसी घटनाए होती रहती हे जिस पर आश्चर्य एवम हंसी दोनो आती है जल्दी से पैसा कमाना,कोर्ट कचहरी से मुक्ति,कर्ज मुक्ति ,पैसा डबल करना इस प्रकार की उम्मीद इंसान किसी पंच तत्व के इंसान से लगाता आ रहा हे ।और  अधिकांश जगह मूर्ख बन अपना पैसा समय बर्बाद करता आ रहा हु इंसान अपने लालच ,मजबूरी में इनका शिकार ना जाने कितने समय से बनता आ रहा हे।पर भी आज नए नए पैदा हो रहे हे इसका मूल कारण अंधविश्वास ओर इंसान का लालच आज समाज इस दौर में हे ।खुले आम फेस बुक पर सोशल मीडिया में कोर्ट केस से मुक्ति,किसी को वश में करना,ऐसे पेज मौजूद हे इंसान को सावधान होना पड़ेगा इन भ्रामक विज्ञापनों से।एवम जब तक कोई आपका अपना  किसी के पास जाना सत्यापित न करे जब तक किसी अनजान व्यक्ति से अपने लालच अंधविश्वास से ना मिले आप उस में अपनी समस्या का समाधान ढूंढ रहे हे।वो आप में ग्राहक जितने अवतार हुए राम कृष्णा अन्य सभी ने धरती पर जब पंच तत्व शरीर लिया अपनी लीला के साथ तकलीफ भी झेली आज इस कलयुग में हर इंसान किसी ना किसी परेशानी से ग्रस्त हे वो शरीर का दर्द, रि

इंसान की जान से बड़ा हो गया धर्म का मान

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 इंसान का लहू पत्थर,कागज, बूतो से सस्ता-चिंतन आज जिस समाज में हम जी रहे हे अपने अपने धर्म को जीवन शैली मान।मेरा मानना हे धर्म ,जाति,पंथ आपको जीवन का उपयोग कैसे करे इसका पाठ पढ़ाता है.. वह दिव्य शक्ति जो आपकी श्वासो का संचालन कर रही हे अलग अलग नामो से जानी जाती हे ईश्वर अल्लाह गुरुग्रंथ साहिब ,जीजस, अन्य कही ना कही आप देखेगे मानव का बटवारा इन में हुआ।ईश्वर ने कही कुछ नही बाटा।सबको एक समान शरीर दिया पर मेरा मानना हे पत्थर की मूरत  कागज के ग्रंथ को आपके अतीत बड़ो की सिख विश्वास श्रद्धा भक्ति ने ईश्वर अल्लाह गुरु ग्रंथ साहेब को दर्जा दिया आपकी श्वासों के संचालक का नाम दिया आज इस कलयुग में अपने अतीत के ज्ञान श्रद्धा धार्मिक किताबो से मिले ज्ञान से हम आने वाले भविष्य की इबारत लिख रहे हे  आपका धर्म जाति आपकी अनमोल धरोहर है किसी को उसका अपमान करना का अधिकार नही।जिस प्रकार आप अपनी स्वयं के माता पिता की इज्जत करते हे।उसी प्रकार उनकी आयु के लोगो को माता पिता का दर्जा देते हे ।उसी प्रकार हम अपने धर्म के साथ दूसरे धर्मो का भी आदर करते हे । कोई हक नही बनता इन श्रद्धा भावना से जुड़ी शक्तियों का कोई अ

COMBUSTION OF SELF RAVANA BY OWN RAMA

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  "Combustion of own Ravana by  own Rama" Years old tradition Vijayadashami festival is celebrated for the victory of good over evil. The scriptures say that Ravana was not cremated. That is why burning Ravana became a tradition. In this Kali-yuga, Ravana combustion has become a mere game. Showing Ravana combustion to your little children has become a mere means of entertainment and political arena for the people of politics. Everyone knows that Ravana was an all-knowing brahmin who was born in the Asura dynasty. But by his Shiva sadhana, Shiva created the orgy and became the object of Shiva's infinite grace. This is the same Ravana who controlled the planets with his mantra Shiva Sadhana.  Even at the time of construction of Ram Setu, after inviting Brahmin work by Ram, duly worshiped, one should see the intentions and deeds of a person. Everyone has a different opinion about the birth of Ravana. One sect calls Ravana as Vidyadhar. In today's era, does

पितृ प्राणायाम पितृ ध्यान

 #sarvpitraamawasya #krishnaguruji     (सर्व पितृ अमावस्या विशेष) पितृ योग, पितृ प्राण ायाम, पितृ ध्यान, हमारे पूर्वज शरीर यही छोड़ अंतिम श्वास को वायु में छोड़ विलीन हो गए आज में आपको वायु के माध्यम से कृतज्ञता बताऊंगा अधिकांश लोग अपने पूर्वजों की तारीख तिथि मालूम न होने से असमंजस में रहते हे। उनके लिए  होती हे सर्व पितृ अमावस्या सर्व पितृ अमावस्या पर किया गया तर्पण श्राद्ध सभी पितृ तक पहुंचता हे ।यहां तक वो पितृ जिनके बारे में आपको जानकारी भी नही उन तक भी कृतज्ञता पोहचती हे सामान्यतः सर्व पितृ अमावस्या पर ब्राह्मण भोज तर्पण का विधान हे ।अब की बार आप पितृ प्राण ायाम पितृ ध्यान  भी कर अपने पितृ दोष का निवारण भी कर सकते हे श्राद्ध पक्ष में करे पितृ प्राण ायाम -पितृ दोष का सटीक उपाय कोई कार्य रुक रहा हो ,बार बार काम आखिरी मे आ कर रुक जाता हो,मांगलिक कार्यों मे व्यवधान आता है  ज्योतिष शास्त्र अनुसार जातक पितृ दोष से पीड़ित बताया जाता है पितृ दोष क्या है जातक की पत्रिका में अगर 9th घर में अगर सूर्य ग्रह हो।एवम उसके साथ राहु,केतु,शनि भी साथ ही पितृदोष बनता है।अगर 9वे घर के घर क

ज्ञान दिवस के रूप में मना जन्माष्टमी पर्व

अधिकांश अवतारों के जन्म दिन में हम उनकी लीला का वर्णन करते हे खुशियां मनाते हे उस अवतार ने इस धरती पर आ कर दिया क्या संदेश दिया।उसको हम सामान्य जीवन में कैसे लागू करे ।एक ऐसा ज्ञान जो आपकी पीड़ा शारीरिक मानसिक रिश्तों की कम करे। श्री कृष्णा जन्माष्टमी को ज्ञान दिवस के रूप में मेरे साधकों के साथ मनाया गया। ज्ञान सर्व प्रथम एक मां का दर्द ।देवकी जिसने भय में जीवन जिया एवम हर बच्चा जन्म लेते ही मारा गया भाई के द्वारा ।कृष्णा का जन्म  होते ही उन्हे यशोदा के पास भेजा गया।आज मेरा प्रश्न उन माताओं से हे जो अपने बच्चो को ले कर तनाव में रहते हे मां की पीड़ा क्या होती देवकी मां का जीवन देखे आपकी पीड़ा स्वत काम लगने लगेगी।। एक पिता का दर्द क्या होता हे वासुदेव से ज्यादा कोई समझ सकता हे जिसके सामने बच्चो को मार दिया गया एवम कृष्णा को नंद गांव छोड़ आए।एक पिता का दुख क्या होता हे।वासुदेव के जीवन को देखे तो  कोई बड़ा दर्द तकलीफ देखे आपको अपना दर्द पीड़ा कम लगती है। भाई कंस जिसने अपने बहन के बच्चो को मारा  जो लोग अपने भाईयो से किसी पीड़ा में हे  क्या देवकी मां जितनी तकलीफ भाई से कोई कल्पना कर सकता हे।

DO+NATION राष्ट्र के नाम

 स्वंतत्रता दिवस पर मेरा अनुरोध। हम अधिकांश समय दान देते रहते हे धर्म के नाम पर जाति के नाम पर समाज के नाम पर क्यू ना कुछ राशि हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम दान करे एमएम

में और मेरे दोस्त-एक चिंतन

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 कलयुग में दोस्त(दो+,अस्त,) स्दोस्ती(जहा खत्म हो( दो की हस्ती) साथियों जहा तक मेरे जीवन में मेरा हर मित्र मेरी एक अमानत हे।अगर मित्र हे तो अच्छा बुरा देखने का आपको कोई राइट नही सिर्फ दो* शरीर दो विचार दो भावनाएं स्वार्थ का अस्त *हो जाए वोह हे दो*+अस्त*=दोस्त दोस्त सही हो या गलत उसका साथ देना सच्चे दोस्त की पहचान हे कर्ण&कृष्णा सुदामा द्वापर युग परंतु यह कलयुग हे यहां दोस्ती से ज्यादा स्वार्थ ,तर्क ,,वितर्क ,में सही था,तू गलत था मेने तेरे लिए यह किया,तूने क्या किया यह सब बातो का चिंतन एक मत भेद पैदा कर पाता हे सच्चे दोस्तो की दोस्ती को नही।मेरा मानना हे अगर किसी दोस्त के संघर्ष को देखोगे तो बुराई भूल जाओगे।इंसान का सबसे बड़ा गुनाह है की दोस्ती में प्रतिस्पर्धा वो भले किसी की भी हो, यहा तक दोस्ती का निजीकरण  कद,पद,आर्थिक संपन्नता शोहरत के आधार पर यह दुनिया हे ,दुनिया में कद पद आर्थिक सफलता शोहरत सब समय समय पर बदलते रहते हे।आज की तारीख में मेरा दोस्त मेरा शुभचिंतक हे की नही यह  सोचना पड़ जाए  ।लेकिन अगर दोस्त के बारे में इतना सोचना पड़े।दोस्ती में जात पात धर्म कद पद के लिए कोई जगह नही

आपके घर में एक और मंदिर हे

महामारी में हुई मेरी भगवान से बात

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https://krishnaguruji.blogspot.com/2021/05/blog-post_14.html  कोरोना काल के लॉक डाउन में मेरी भगवान से बात चीत- सादर नमन में तो धन्य हो गया आज आपके दर्शन पा कर भगवान-अरे बेटा में तो तेरे साथ ही तो हु। भ से भूमि। ग से गगन वा से वायु अग्नि न से नीर जल सब कुछ तो तुझे दे कर भेजा हे कभी यात्रा में अपने ड्राइवर का चेहरा देखा है।अरे जब ट्रेन में जाता हे तो ड्राइवर का चेहरा देखता हे।फ्लाइट में पायलट का।वैसे ही तेरी जीवन यात्रा में तेरे पास हु में तो हर पल तेरी श्वास के  साथ हु।जैसे तेरी कार ड्राइवर चलाता है वैसे ही मेरी तेरी श्वास चलाता हु।तेरी हर बात का पालन उसी प्रकार करता हु जिस प्रकार तेरी गाड़ी का ड्राइवर तेरी हर बात तेरी मर्जी के हिसाब से चलता है।में भी चलता हु।तू अच्छे काम करे तो भी साथ।बुरे करें तो तुझे याद दिलाता हु यह रास्ता गलत हे।पर फिर भी तू चलने का बोलता में चल देता हु।मेने तुझ पर कोई पाबंदी नहीं लगाई मेने पूछा- भगवान यह सुख दुख क्यों महामारी में तूने मेरे अपनो की जान ली इतना दुख  जीवन संकट में ला दिया भगवान-बेटा इसका चिंतन तू ही कर ऐसा क्यों हुआ। मेने पूछा-मेरे परिवार में बड़ा स

मजहब, धर्म ,महा मारी

 आज सोचना पड़ेगा हमे की हम आज अपने मजहब के साथ अपने धर्म के साथ दूसरे धर्म का सम्मान कर सकते हे की नही।हर धर्म में कुछ ना कुछ अलग संदेश हे जो पूर्णता लाता है। में आज चिंतन में आ गया की लोग अपने साथियों में धर्म जात पात देखने लगे।विशेषकर बुद्धिजीवी भी जो सिर्फ एक अदना सा इंसान है इस महामारी में इलाज कराते वक्त कोई परहेज नहीं बच्चे किसी दूसरे धर्म के देशों में काम करे कोई परहेज नहीं।अगर किसी धर्म में एकता हे।किसी धर्म में सेवा के भाव हे,क्या हम उसकी बुराई करेगे या उस से सीखेंगे।अगर कोई अपने धर्म की राह पर आपके धर्म से अधिक तेज चल रहा हे आपको तकलीफ क्यू।अगर आप एक नही हो सकते तो जो एक रह रहे हे उस से परहेज क्यों।दोहरा जीवन दो मुखौटे।क्या हम दूसरे धर्म से नफरत इसलिए करने लगे की वोह धर्म हमसे नफरत करता है।हमने सीखा है अहिंसा परमोधर्म ।पर जब धर्म पर आए तो जान पर खेलो।पर किसी को बाध्य करना कहा तक उचित है

आप तनाव में कैसे जाने

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 आप तनाव में हे कैसे जाने ।।। अगर आप मोबाइल हाथ में लिए पड़े हुए मेसेज दोबारा पढ़ने लगे तो आप निराशा के जोन में आराम की अधिकता भी एक प्रकार का तनाव देती है क्या आप चाहते हे येह मानसिक विषाद और न बड़े आइए साथ कुछ उपाय देखते हे 1अलमारी में आपके कपड़े एक दिन निकाल कर बैठे।कोन से नही पहनना उनको अलमारी से निकाले 2 अपने पुराने फोटो निकाल अपना अतीत देखे 3 एक वक्त डिसाइड करे जब सभी परिवार के सदस्य एक साथ बैठे। वरना जिंदगी मोबाइल में ही निकल जाएगी व्हाट्स ऐप फेसबुकअधिक उपयोग करे तो कॉरोना से ज्यादा खतरनाक है।।। 4-जिसका जो शौक है उसे मिल कर बढ़ावा दे।गीत डांस पहेली एक नियत समय पर 5-कठिन काम बोल रहा हु जब परिवार के साथ हो तो मोबाइल बंद करे 6 कही आपका कोई सदस्य वीडियो गेम तो नही खेल रहा ।वोह और कुछ नही अपने जीवन से खेल रहा हे रोके।सिर्फ खाने ब्रेकफास्ट आवाज न दे मुझे मालूम हे आप सब लोग कहेंगे यह तो हम सब कर रहे हे तो अपने  बेटे बेटी से उनके दादा दादी पर दादा, पर दादी। नाना नानी पर नाना पर नानी के नाम पूछे हम सब जानते हे पर जी हम जानते हे वोह कितना करते है ईश्वर ने इस कोरोना काल में सबकी यात्रा  एक

महा मारी में मेरा भगवान

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  महामारी में मेरा भगवान https://youtu.be/gb9JxDkBd6E सब लोग अपने अपने धर्म के मुताबिक अपने अपने आराध्य को मंत्र प्रार्थना नमाज अरदास के माध्यम से उसका ध्यान करते हे ।तीर्थ स्थान मंदिर देवालय जाते हे ।विषम समय में ज्यादा ध्यान करते हे क्यों की आखिरी सहारा भगवान अपनी आस्था भक्ति रूपी देव दर्शन पर टिक जाता है अगर हम यह मानते हे की एक पत्ता भी भगवान की मर्जी से नही हिलता तो महामारी भी उसकी मर्जी से आई होगी ।एवम जीवन रक्षा  भी एक युद्ध सा हो गया महामारी में पैसा भी काम नहीं आ रहा काम आ रही ऑक्सीजन वेंटिलेटर। महामारी के भगवान में दो व्यक्तियों को मानता हु पहला जिसने ऑक्सीजन मास्क एवम ऑक्सीजन पैदा करने का यंत्र बनाया।दूसरा जिसने वेंटिलेटर का आविष्कार किया।आज इंसान ऑक्सीजन वेंटिलेटर रेमडीसियर इंजेक्शन जिस प्रकार ढूंढ रहा हे अगर उसका 1% भी प्रकृति को दिया होता तो आज यह स्थिति नही होती। आज से में प्रण लेता हु अगर में महामारी से बच गया तो आनेवाली पीढ़ी के लिए पूंजी छोड़ने की बजाय प्रकृति की पूंजी वृक्षारोपण जल बचाव प्रदूषण पर कार्य करुगा और आप

रामनवमी पर खुद में भी राम ढूंढे #ramnavmi2023#ramnavami

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  राम नवमी का त्योहार बनेगा ",पुरुषार्थ दिवस। "मुझ में राम"    "आज के युग में राम ढूंढे आज राम नवमी की बधाई के साथ राम भगवान एक पंच तत्व का शरीर ले कर धरती पर आए थे ।जिन्होने अपने रिश्तो के साथ न्याय किया वक्त आने पर।एक पुत्र के रूप में पिता की आज्ञा ।एक भाई के रूप में भाईयो को स्नेह एक पति के रूप पत्नी की रक्षा एवम एक राजा के रूप में प्रजा का कहा माना। आप में राम हे पर स्वार्थ में कही न कही पूर्णता नही आती।हम आप सब अधिकांश स्वार्थ अपने रिश्तों तक सीमित सोचअपने सेवा के दिखावे में जिंदगी निकाल रहे है आज जिस व्यक्ति ने कृतिम ऑक्सीजन की मशीन को इंवेंट किया वेंटिलेटर इंवेंट किया आज के युग के राम वो भी है जिनके कारण न जाने कितनी की जान बच रही हे अब वक्त आ गया है हम राम को उसके संदेश के साथ आज के कई लोग जो राम समान कार्य कर रहे है उनको भी कृतज्ञता का प्रणाम करे ।मेरे हिसाब से शहर का हर व्यक्ति आज राम बना हुआ है।राम के समय भी दैविक असुर थे।आज भी हे ।आप में कौन हे इसका चिंतन कर करे महामारी में किसी का दोषारोपण करने की बजाय आप क्या कर सकते हे छोटे से छोटे स्तर पर भी चिंतन कर

महाशिवरात्रि देती है - संयुक्त परिवार का संदेश

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  महाशिवरात्रि संदेश देती है"संयुक्त परिवार दिवस का(18/02/2023) हम वर्षो से महा शिव रात्रि का आध्यात्मिक उत्सव मनाते आ रहे है , रुद्रअभिषेक के माध्यम से शिव पंचायत की पूजा अर्चना कर शिव परिवार मे शिवजी जिनका वाहन नंदी है गले मे सर्प है ।पुत्र गणेश जिनका वाहन मूषक है।दूसरे पुत्र कार्तिकेय जिनका वाहन मोर है नंदी,मूषक सर्प मोर एक साथ नहीं रह सकते  फिर भी शिव दरबार मे हम इनके एक साथ दर्शन करते है इतनी विषमता के बाद भी परिवार एक साथ रहने का संदेश देता है पर आज के समय मे  थोड़े से मन मुटाव, स्वार्थ,अहंकार ,ग़लत सलाह के कारण हम अपने परिवार से दूरी बना लेते है।।। आइए आज महा शिवरात्रि को महा संकल्प ले की कुछ भी हो मे मेरे परिवार से दूरी नहीं बनाऊंगा जिस प्रकार शिव परिवार एक साथ रहने का संदेश देता है ।तुझ में नारायण मुझ मे नारायण संदेश को स्वीकार कर अपने रिश्तों को परिवार को सवारे साथ ही शिव परिवार को भी एवम शिवरात्रि त्योहार परिवार के साथ मनाए सामान्यतः हर त्योहार कोई ना कोई संदेश देता है जिससे समाज में वासुदेव कुटुंबकम् की भावना जाग्रत हो 14जन  मकर सक्रांतिको हम पिता पुत्र दिवस।

#Uranusremedy -kumbhhak

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  यूरेनस ग्रह ज्योतिष शास्त्र मे काफी समय बाद आया ।इसका प्रभाव हर जातक पर पड़ता है। माना एक राशी मे 84वर्ष बाद आता हो यूरेनस अगर 7th हाउस में हो तो विवाह संभ धी अड़चने तलाक आदि का सामना जातक जो करना  पड़ता है। 1 वर्ष मे ढाई डिग्री चलने वाला यूरेनस अहम प्रभाव जातक पर डालता है कुंभक प्रयोग अगर 7 थ हाउस में यूरेनस हो तो उस घर में साथ बैठा ग्रह एवम सप्तमेश के जाप साथ ही ।गोचर में विराजित यूरेनस का स्थान का मालिक के जाप या सम्बंधित दान करने से वैवाहिक जीवन की अड़चने दूर होती है। आज मा कर देखे मैने आजमाया है। #astrology #uranus#planetremedy#krishnaguruji www.krishnaguruji.com

पितृ प्राणायाम#pitradosh #श्राद्धपक्ष

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  पितृ प्राणायाम -पितृ दोष का सटीक उपाय कोई कार्य रुक रहा हो ,बार बार काम आखिरी मे आ कर रुक जाता हो,मांगलिक कार्यों मे व्यवधान आता है  ज्योतिष शास्त्र अनुसार जातक पितृ दोष से पीड़ित बताया जाता है पितृ दोष क्या है जातक की पत्रिका में अगर 9th घर में अगर सूर्य ग्रह हो।एवम उसके साथ राहु,केतु,शनि भी साथ ही पितृदोष बनता है।अगर 9वे घर के घर के अलावा भी किसी और घर में भी सूर्य ग्रह के साथ उपरोक्त ग्रहों को युति हो तो भी ग्रहण या अर्ध पितृ दोष मना जाता है चंद्र कुंडली लग्न कुंडली दोनों से देखा जाता है पितृ दोष को देख  जानकर उसके   उपाय के माध्यम से  उसको दूर करवाते है।। मेरे व्यक्तिगत मत के अनुसार पितृ दोष का नाम ही उपयुक्त नहीं है पितृ याने हमारे पूर्वज लाख कितनी विषमता सह कर गए हो ।हमे दुख नहीं दे सकते पितृ दोष के उपाय मे आज आपको एक उपाय बताता हूं।जो आपके पंचतत्व शरीर को श्वास से जोड़ पितरों की कृतज्ञता से लक्षित करेगा। पितृ प्राणायाम क्या है एक शरीर श्वास की लय बद्ध विधि बाई नासिका को चंद्र नाडी के नाम से जाना जाता है जो शीतल होती है एवम चंद्र मा तत्व का कारक है दाहिनी नासिका मे

HEAL YOUR PLANET BY DIVINE ASTROHEALING #KRISHNAGURUJI #PRANAYAM #MEDITA...

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HEAL YOUR PLANET BY DIVINE ASTROHEALING #KRISHNAGURUJI#meditation

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