पितृ प्राणायाम पितृ ध्यान

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    (सर्व पितृ अमावस्या विशेष)
पितृ योग,पितृ प्राणायाम, पितृ ध्यान,
हमारे पूर्वज शरीर यही छोड़ अंतिम श्वास को वायु में छोड़ विलीन हो गए
आज में आपको वायु के माध्यम से कृतज्ञता बताऊंगा
अधिकांश लोग अपने पूर्वजों की तारीख तिथि मालूम न होने से असमंजस में रहते हे।
उनके लिए  होती हे सर्व पितृ अमावस्या
सर्व पितृ अमावस्या पर किया गया तर्पण श्राद्ध सभी पितृ तक पहुंचता हे ।यहां तक वो पितृ जिनके बारे में आपको जानकारी भी नही उन तक भी कृतज्ञता पोहचती हे
सामान्यतः सर्व पितृ अमावस्या पर ब्राह्मण भोज तर्पण का विधान हे ।अब की बार आप पितृ प्राणायाम पितृ ध्यान  भी कर अपने पितृ दोष का निवारण भी कर सकते हे

श्राद्ध पक्ष में करे पितृ प्राणायाम -पितृ दोष का सटीक उपाय

कोई कार्य रुक रहा हो ,बार बार काम आखिरी मे आ कर रुक जाता हो,मांगलिक कार्यों मे व्यवधान आता है  ज्योतिष शास्त्र अनुसार जातक पितृ दोष से पीड़ित बताया जाता है
पितृ दोष क्या है
जातक की पत्रिका में अगर 9th घर में अगर सूर्य ग्रह हो।एवम उसके साथ राहु,केतु,शनि भी साथ ही पितृदोष बनता है।अगर 9वे घर के घर के अलावा भी किसी और घर में भी सूर्य ग्रह के साथ उपरोक्त ग्रहों को युति हो तो भी ग्रहण या अर्ध पितृ दोष मना जाता है
चंद्र कुंडली लग्न कुंडली दोनों से देखा जाता है
पितृ दोष को देख  जानकर उसके   उपाय के माध्यम से  उसको दूर करवाते है।।
मेरे व्यक्तिगत मत के अनुसार पितृ दोष का नाम ही उपयुक्त नहीं है
पितृ याने हमारे पूर्वज लाख कितनी विषमता सह कर गए हो ।हमे दुख नहीं दे सकते

पितृ दोष के उपाय मे आज आपको एक उपाय बताता हूं।जो आपके पंचतत्व शरीर को श्वास से जोड़ पितरों की कृतज्ञता से लक्षित करेगा।

पितृ प्राणायाम क्या है
एक शरीर श्वास की लय बद्ध विधि
बाई नासिका को चंद्र नाडी के नाम से जाना जाता है जो शीतल होती है एवम चंद्र मा तत्व का कारक है
दाहिनी नासिका मे सूर्य नाड़ी का वास है जो स्वभाव से गर्म एवम ज्योतिष मे सूर्य पिता का कारक होता है
पितृ प्राणायाम विधि
1)एक स्थान पाए बैठ जाए सुखासन मे
2) सीधे हाथ के अगूंठे से अपनी दाईं नासिका बंद करे
3)अगूंठे के पास की बड़ी  तर्जनी इंडेक्स फिंगर को अपने आज्ञा चक्र पर रखे (दोनों आई ब्रो के बीच का स्थान)
4)बाई नासिका से अपनी माताजी का नाम चेहरा याद करते हुए श्वास भरे(माता जी जीवित हो या ना हो) लंबी गहरी श्वास बायी नासिका से)
5)अब अपनी बाई नासिका को सूर्य की उंगली अनामिका (index) से अपनी बायी नासिका को बंद कर ।दाईं नासिका से श्वास निकाले अपने पिता जी का नाम चेहरा याद कर(पिता जी जीवित हो या ना हो)
6)कुछ पल विश्राम कर पुन दाई नासिका से श्वास भरे अपने दादा जी के नाम चेहरा (अगर याद हो)
7)पुन: अपनी दाई नासिका को
अपने सीधे हाथ के अगूंठे से बंद कर बाई नासिका से श्वास खाली करे अपनी दादी का नाम चेहरा याद कर के
श्वास खाली करने के बाद कुछ पल विश्राम करे
पहले चक्र जो पूर्ण हुआ उसमे कुल चार श्वास का आना जाना नासिका से हुआ
8)दूसरा चक्र भी अपने नाना,नानी ।पर नाना,पर नानी को सोच करे(भले ही नाम चेहरा याद ना हो(वीडियो देखे)
9)इसी क्रम में तीसरा चक्र अपनी सासू , ससुर,पर ससुर,पर सासू
इस प्रकार ३ चक्र मे १२ श्वास होगी । १२ रिश्तों के साथ

उसके बाद विश्राम करे ध्यान ने जो भी समय पितरों के साथ गुजारा है उसको याद कर अगर जाने अनजाने अगर आपकी तरफ से उनकी देख रेख मे लापरवाही हुई हो तो पितृ क्षमा मांगे
आपके बारह घर में बारह राशि विराजित होती है।जो अपने मालिक याने ग्रह के आदेशानुसार आपके जीवन को प्रभावित करती है।इस पितृ प्राणायाम से हम अपने दस कमरे दोष मुक्त करते है
ज्योतिष शास्त्र कहता है आपकी पत्रिका के हर घर में आपका एक या एक से अधिक रिश्ता रहता है
इस पितृ प्राणायाम से हम अपने 10 कमरे  में विराजित रिश्तों के प्रभाव या कुप्रभाव को संतुलित करते है.
पितृ ध्यान- पितृ प्राणायाम  के बाद अपने हाथो में तीन सफेद पुष्प थोड़े जल में भिगो कर काली तिल के साथ हाथो में रख आंखे बंद कर सुख आसान में बैठे
बाई नासिका बाए कंधे पर ध्यान रख अपने मातृ परिवार मां बहन मामा मासी परिवार पर ध्यान  ले जाए उनके साथ बिताए पलो को याद करे
आत्मिक यात्रा पूर्ण होने पर ध्यान सीधे कंधे पर ले जा पितृ परिवार पर ध्यान ले जाए
अंत में नाभी पर ध्यान रख अपने ससुराल पक्ष के दिवंगतों पर अपना आत्मिक ध्यान ले जाए
मानस मन से पितृ प्राणायाम ध्यान करने दे अलौकिक शांति एवम परिवर्तन महसूस करेगे

कृष्णा गुरुजी
(कृष्णकांत मिश्रा)
फाउंडर
डिवाइन एस्ट्रो हीलिंग.
9826070286
https://en.m.wikipedia.org/wiki/Krishna_Mishra

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