इंसान की जान से बड़ा हो गया धर्म का मान


 इंसान का लहू पत्थर,कागज, बूतो से सस्ता-चिंतन


आज जिस समाज में हम जी रहे हे अपने अपने धर्म को जीवन शैली मान।मेरा मानना हे धर्म ,जाति,पंथ आपको जीवन का उपयोग कैसे करे इसका पाठ पढ़ाता है..

वह दिव्य शक्ति जो आपकी श्वासो का संचालन कर रही हे अलग अलग नामो से जानी जाती हे

ईश्वर अल्लाह गुरुग्रंथ साहिब ,जीजस, अन्य

कही ना कही आप देखेगे मानव का बटवारा इन में हुआ।ईश्वर ने कही कुछ नही बाटा।सबको एक समान शरीर दिया

पर मेरा मानना हे पत्थर की मूरत  कागज के ग्रंथ को आपके अतीत बड़ो की सिख विश्वास श्रद्धा भक्ति ने ईश्वर अल्लाह गुरु ग्रंथ साहेब को दर्जा दिया आपकी श्वासों के संचालक का नाम दिया

आज इस कलयुग में अपने अतीत के ज्ञान श्रद्धा धार्मिक किताबो से मिले ज्ञान से हम आने वाले भविष्य की इबारत लिख रहे हे 

आपका धर्म जाति आपकी अनमोल धरोहर है किसी को उसका अपमान करना का अधिकार नही।जिस प्रकार आप अपनी स्वयं के माता पिता की इज्जत करते हे।उसी प्रकार उनकी आयु के लोगो को माता पिता का दर्जा देते हे ।उसी प्रकार हम अपने धर्म के साथ दूसरे धर्मो का भी आदर करते हे ।

कोई हक नही बनता इन श्रद्धा भावना से जुड़ी शक्तियों का कोई अपमान  करे।एवम कोई भी हक नही बनता इन धर्म के ठेकेदारों को जिनसे धर्म हे उनका इस प्रकार हिसक कार्य करे।।यह सिर्फ संघटित दुर्जनों का कार्य हे जो चंद हे धर्म के ठेकेदार बन हिंसा को द्वेष को जन्म दे रहे हे और आप हम जैसे असंघतित सज्जन तमाशा देख रहे हे।सरकार को कोस रहे हे।सोशल मीडिया पर । कोई पहल इसी जरूर करे जिसमे साल में एक दिन अपने धर्म जाति पंथ से परे एक मानव  बन राष्ट्र के नागरिक बन मिले चिंतन करे.

https://en.m.wikipedia.org/wiki/Krishna_Mishra

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