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DivinePetHealing

 Divine Pet Healing: A Revolutionary Concept for Your Beloved Pets In today's world, pets have become an integral part of our lives, often treated with the same care, love, and attention we give to our own children. This emotional connection has led to a growing concern about their health and lifespan. Understanding the deep bond between humans and their pets, internationally renowned Divine Astro Healer, Krishna Guruji, has introduced a revolutionary concept known as Divine Pet Healing. This technique is designed to enhance your pet’s health and well-being, ensuring they live a long, healthy life filled with vitality. 1) What Is Pet Age Healing? Pet Age Healing is a unique healing technique based on the principles of Divine Healing. In this fast-paced world, where pets are becoming an integral part of families, people naturally want their pets to live long and healthy lives. The emotional bond between humans and their pets has grown stronger, and just like we invest in our childre

डिवाइन वास्तु हीलिंग: क्या है और कैसे काम करती है?

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 डिवाइन वास्तु हीलिंग: क्या है और कैसे काम करती है? डिवाइन एस्ट्रो हीलिंग के संस्थापक कृष्णा गुरुजी ने डिवाइन वास्तु हीलिंग की स्थापना की। इसमें साधक अपनी प्राण ऊर्जा का प्रयोग करके अपने घर के वास्तु दोषों का निवारण बिना तोड़-फोड़ या भारी खर्च के कर सकता है। यह एक सरल और आध्यात्मिक प्रक्रिया है जो पंचतत्वों की शक्ति पर आधारित है। वास्तु क्या है? वास्तु का मतलब है घर का सही ढंग से निर्माण। जिस तरह हमारे शरीर के हर अंग का एक स्थान होता है, उसी तरह घर के हर हिस्से का भी एक सही स्थान होता है। यह व्यवस्था ऊर्जा को संतुलित रखती है। अगर यह स्थान गलत हो जाए, तो घर में नकारात्मक ऊर्जा और वास्तु दोष उत्पन्न होते हैं। वास्तु की दिशा और कोने पंचतत्वों (अग्नि, जल, आकाश, वायु और पृथ्वी) पर निर्भर करते हैं। इन तत्वों का सही संतुलन घर की शांति और समृद्धि सुनिश्चित करता है। चार महत्वपूर्ण कोने: 1. आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण कोना): यह अग्नि का स्थान है, जहां घर के अग्नि से जुड़े उपकरण जैसे चूल्हा, गैस आदि होने चाहिए। 2. नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिमी कोना): यह स्थान घर के मुखिया के लिए होता है। 3. वायव्य कोण

आज के युग मे दशहरा का मकसद सिर्फ अपना प्रचार #Dussehra2024 #Vijayadashmi2024 #Ravandahan

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आज की इस युग में जरूरी.  है अपने अंदर के राम रूपी गुण एवम रावण रूपी अवगुणों के चिंतन की। नवरात्रि के व्रत, जप, तप से अपने विकारों पर विजय का पर्व है विजयादशमी। स्वयं के राम से स्वयं के रावण का दहन। वर्षों पुरानी परंपरा विजयादशमी पर्व, अच्छाई पर बुराई की जीत के लिए मनाया जाता है। शास्त्र कहते हैं कि रावण का दाह संस्कार नहीं हुआ था, इसी लिए रावण दहन करना एक परंपरा बन गई। इस कलयुग में रावण दहन मात्र एक खेल बन गया है। अपने छोटे बच्चों को रावण दहन दिखाना मात्र मनोरंजन का साधन बन चुका है एवम राजनीति लोगों के लिए राजनीतिक अखाड़ा। सब जानते हैं कि रावण एक सर्वज्ञानी ब्राह्मण था जो असुर वंश में पैदा हुआ था। पर अपनी शिव साधना से उसने शिव तांडव रचा और शिव की असीम कृपा का पात्र बना। ये वही रावण है जिसने अपनी मंत्र साधना से ग्रहों को अपने वश में किया। यहां तक राम सेतु के निर्माण के वक्त भगवान राम द्वारा ब्राह्मण कार्य का आमंत्रण देने पर विधिवत पूजन भी किया। किसी इंसान की मंशा एवम कर्म देखना चाहिए। रावण के जन्म के बारे में सबके अलग-अलग मत हैं। एक सम्प्रदाय तो रावण को विद्याधर कहता है। आज के इस कलयुग म