डिवाइन वास्तु हीलिंग: क्या है और कैसे काम करती है?
डिवाइन वास्तु हीलिंग: क्या है और कैसे काम करती है?
डिवाइन एस्ट्रो हीलिंग के संस्थापक कृष्णा गुरुजी ने डिवाइन वास्तु हीलिंग की स्थापना की। इसमें साधक अपनी प्राण ऊर्जा का प्रयोग करके अपने घर के वास्तु दोषों का निवारण बिना तोड़-फोड़ या भारी खर्च के कर सकता है। यह एक सरल और आध्यात्मिक
प्रक्रिया है जो पंचतत्वों की शक्ति पर आधारित है।
वास्तु क्या है?
वास्तु का मतलब है घर का सही ढंग से निर्माण। जिस तरह हमारे शरीर के हर अंग का एक स्थान होता है, उसी तरह घर के हर हिस्से का भी एक सही स्थान होता है। यह व्यवस्था ऊर्जा को संतुलित रखती है। अगर यह स्थान गलत हो जाए, तो घर में नकारात्मक ऊर्जा और वास्तु दोष उत्पन्न होते हैं।
वास्तु की दिशा और कोने पंचतत्वों (अग्नि, जल, आकाश, वायु और पृथ्वी) पर निर्भर करते हैं। इन तत्वों का सही संतुलन घर की शांति और समृद्धि सुनिश्चित करता है।
चार महत्वपूर्ण कोने:
1. आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण कोना): यह अग्नि का स्थान है, जहां घर के अग्नि से जुड़े उपकरण जैसे चूल्हा, गैस आदि होने चाहिए।
2. नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिमी कोना): यह स्थान घर के मुखिया के लिए होता है।
3. वायव्य कोण (पश्चिमी-उत्तरी कोना): यह स्थान हवा का है और यहां मेहमान या अविवाहित लड़कियां रहती हैं।
4. ईशान कोण (उत्तरी-पूर्वी कोना): यह देव स्थान है, जहां भगवान का मंदिर या बुजुर्ग रह सकते हैं।
डिवाइन वास्तु हीलिंग क्या है?
डिवाइन वास्तु हीलिंग वह प्रक्रिया है, जिसमें आप अपनी प्राण ऊर्जा का उपयोग करके वास्तु दोषों को ठीक करते हैं। यह बिना खर्च और तोड़-फोड़ के साधक के पंचतत्व शरीर की ऊर्जा द्वारा होता है।
भस्म योग (सैंडविच प्रोसेस):
यह श्वास-प्रश्वास की एक विधि है जिसे एक निश्चित लय में किया जाता है। इसे नियमित रूप से करने से वास्तु दोष दूर होते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
डिवाइन वास्तु हीलिंग कैसे सीखें?
डिवाइन वास्तु हीलिंग सीखने के लिए आप www.krishnaguruji.com पर जानकारी ले सकते हैं। समय-समय पर ऑनलाइन कोर्स भी आयोजित होते हैं।
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