काम क्रोध लोभ से मुक्ती दिलाती है नव रात्री"


नव रात्रि और आज का युवा





आज कल हमारे आध्यात्मिक त्योहारों के प्रति युवाओं की रुचि कम होती जा रही है क्यू की सही ढंग से तर्क सहित नही समझना भी एक कारण हो सकता है  आइए जानते है। हिंदू नव वर्ष की शुरुआत पर्व गुड़ी पड़वा से नव रात्रि की शुरुआत होती है।

"नव रात्री क्या है"
हमारे आध्यात्मिक त्योहारों में रात्रि सिर्फ जगह आती है
महाशिवरात्रि( पुरुष तत्व)
एवम नव रात्रि (महिला तत्व)
शिव शक्ति के बगैर ब्रह्मांड की कल्पना नहीं की जा सकती उसी प्रकार से पुरुष महिला के बगैर परिवार की कल्पना नहीं की जा सकती
"नवरात्रि चार बार क्यू आता है".

नव रात्री उन प्रथम नव रातो को कहा जाता जो दो मौसम के मिलने के बीच की होती है।
चार मौसम होते है उसी प्रकार चार बार नव रात्रि पर्व आता है। प्रथम तीन दिन शरीर के तमस तत्व याने क्रोध अहंकार से मुक्ति दिलवाते है।
अगले तीन दिन रजस के आपने जो राजसी भोग जीवन जिया हे उसकी अधिकता को दूर कर आरोग्यता की ओर ले जाते हे।
अंतिम  तीन दिन  माता से को भी मिला है उसकी कृतज्ञता देने के लिए आते हे जिसमे शरीर पूर्ण रूप से सत्व में होता हे अगर साधना जप तप  योग के साथ की गई हो
चार नव रात्रि में से दो  नव रात्रि चैत्र, कुवार की गृहस्थ वालो के लिए एवम दो गुप्त,सुप्त ऋषि मुनियों के लिए

"क्यू रखते है उपवास"
चुकी मौसम के बदलाव से शरीर को नए मौसम में ढलने में कभी कभी बीमारी भी घेर लेती है ।इसे से बचने के किया शरीर को पूर्ण रूप से शुद्ध एवम आंतरिक क्षमता को बड़ाने के लिए व्रत उपवास एवम काम आहार किया जाता है।

"नव रात्रि में नव का महत्व"

हमारे आध्यात्मिक त्योहारों में नव रात्रि मातृ शक्तियां को दर्शाती है।जिस प्रकार नव ग्रह,नव त्योहार ,नव रंग में के गर्भ के 9 माह 9 दिन।
जिस प्रकार मां के गर्भ में 9 माह शिशु का विकास होता है उसी क्रम में नव रात्रि में हर अंग का शुद्धिकरण होता है
नव रात्रि पूजन एवम शरीर

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नव रात्रि से शुद्धिकरण के प्रकार
दो प्रकार की विद्या होती है  परा विद्या अपरा विद्या
एक  परा विद्या में जप तप मंत्र पाठ हवन से शुद्धिकरण होता है।जिसे हम भक्ति योग कहते तो गलत नही होगा।
अपरा विद्या  जिसमे प्राणायाम ध्यान के माध्यम से शुद्धिकरण होता हे ,शरीर के हर चक्र में माता का रूप होता है

माता का नव रात्रि में पूजन(परा विद्या).
साधक नो दिन व्रत रखता है।नीचे सोता है सभी सुख सुविधा से अपने आप को अलग रखता है।माता जी की घट स्थापना करता है।कुछ कुंडो में गेहूं डाल मिट्टी डाल घर की खुशहाली के नो दिन पूजा के वक्त सम्मुख बैठ सप्तशती का पाठ देवी कवच इत्यादि पाठ पड़ ।माता के मंत्रो का जाप कर बाहरी दुनिया से अपने आप को विरक्त करता है
देवी कवच और कुछ नही शरीर के सभी अंगों को याद कर उनके प्रति कृतज्ञता देना इस लिए हर अंग के लिए एक माता जी का नाम आता है।देवी कवच पड़ते पड़ते शरीर के सभी अंगों पर ध्यान ले जाना अपरा विद्या में आता है
अंतिम दिन हवन का महत्व
जैसा की आपको मालूम हे जब  हवन याने घर के सभी लोग अग्नि को बाहरी आंतरिक नकारात्मकता ग्रहों की आपदा की बीमारी की दूर करने संकल्प के साथ अपनी अपनी आहुति देते हे सभी परिवार के लोग एक साथ आत्मीयता बढ़ती है नकारात्मकता दूर होती है
"माता जी की आरती "
नव दिन तक माता जी की आरती पूजन के साथ गाई जाती है ।
वर्तमान की नजर से देखे तो आरती में तुमको निश दिन ध्यावत अर्थात आपको में हर दिन याद करता हु ।शुभ निशुंभ सहारे।मधु कैटभ दो मारे यह दैत्य हमारे शरीर के राग द्वेष क्रोध अहंकार है ।जो जीवन में चाहते हे जो नही चाहते इस को आरती में गा कर शरीर को याद दिलाते हे किस को जीवन में अपनाना किसको त्यागना
आरती के अंत में एक प्राथना जिसमे धर्म पंथ जगत कल्याण की प्राथना की जाती है
प्रसाद बाटने का महत्व
आरती के अंत में भगवान को चढ़ाया प्रसाद बाटा जाता है।जिसको हर इंसान भाव से स्वीकार करता है।प्रसाद अधिक से अधिक लोगो को बताना आप में कुछ देने के भाव सिखाता है।इसीलिए बच्चो से प्रसाद बटवाते हे  अंजान व्यक्ति भी बड़े भाव से स्वीकार करता हे।
"आज के युवा नव रात्रि को कैसे करे"
नव रात्रि का हर दिन हमारे रीड की हड्डी से जुड़े चक्रों से संबंध रखता है जिसे हम अलग अलग माताओं के नाम से जानते हैं
हमारे चक्र ही हमारे स्वभाव के कारण है जिसे बखूबी पुरानी कहावतों में दर्शाया गया हे ।आइए आज  आने वाली नव रात्रि  की साधना अपने शरीर से जोड़ते हे
पहलादिन

रात को सोते वक्त अपने अतीत को याद कर  वर्ष तक के समय को कोई गलती आपसे मंशा गत या ना मंशा गत हुई हो उसको मूलाधार चक्र पर ध्यान के साथ समर्पित करे.यह आपके आलसी स्वभाव को दूर कर जीवन उत्साह से भर देगी।क्यू की एक आलसी व्यक्ति कभी उत्साही नही हो सकता और उत्साही आलसी
द्वितीय दिन
सुबह उठ अपना ध्यान स्वाधिष्ठान चक्र ,( अपनी जनेद्रीय के पीछे रीड की हड्डी की और अगर कामुक विचार आते हे तो इस स्थान पर ध्यान रख श्वास ले एवम खाली करे
आपके कामुक विचारो से मुक्ति मिलेगी जो क्रियाशील स्वभाव में बदलेगी
तृतीय दिन
अपना ध्यान नाभी पर रख अगर आपका स्वभाव ना चाह कर भी ईर्षा से ग्रस्त होता है अपना ध्यान नाभी पर रख श्वास चौड़े (कहावत है की वो कमा रहा है तेरा पेट क्यू दुखता है अर्थात ईर्षा का संबंध नाभी से है। ईर्षा का स्वभाव दूर कर अपनत्व उदारता बढ़ेगी
चौथे दिन
अपना ध्यान छाती की मध्य बिंदु याने ह्रदय चक्र पर रख जिस से भी भय रहता है अज्ञात भय रहता हे छाती पर ध्यान रख श्वास ले और चौड़े डर का स्वभाव खत्म होगा आप देखेगे जब भी हमें डर लगता है अचानक हमारा हाथ ह्रदय चक्र पर जाता हे मतलब  भय का स्थान नाभी है एवम प्यार सकारात्मक ऊर्जा के रूप में ह्रदय चक्र से निकलता हे इसीलिए आप जब कहते है तुझे दिल से प्यार करता हु आपका हाथ अपने आप छाती पर ह्रदय चक्र पर जाता है
पांचवा दिन
अपना ध्यान अपने कंठ पर ले कर जाए श्वास ले एवम कंठ पर ध्यान रखते चौड़े जरा जरा सी बात पर रोना नहीं आएगा।साथ ही कंठ पर ध्यान रखते हुए जिन्होंने आपकी कभी भी मदद की हो किसी भी रूप में उनको कृतज्ञता दे।कृतज्ञता का स्थान भी कंठ चक्र होता है
6,7,8  दिन
अपना ध्यान अपने आज्ञा चक्र याने दोनो भो के बीच का स्थान पर श्वास ले कर चौड़े
एवम याद करे उन पलो को जब आप मंशागत ना मंशागत क्रोध अहंकार में आ गए थे
आप नोट करना जब आप गुस्से में होते है तो दोनो आईब्रो सिकुड़ जाती है जो यह बताती है क्रोध अहंकार का स्थान आज्ञा चक्र है।
वही कुछ याद करना हो तो आपकी एक उंगली अपने आप आज्ञा चक्र पर चली जाती है।इसका मतलब सजगता भी आज्ञा चक्र पर है
9 वे दिन
अपना ध्यान सिर की चोटी पर सहस्त्रधार चक्र पर श्वेत रंग की कल्पना कर शांति से बैठे
नव रात्रि की रात में किया गया चक्र ध्यान  आपको आलस्य काम ईर्षा भय क्रोध से मुक्त करेगा
शरीर का शुद्धिकरण के लिए नवरात्रि आती है जो आपको निरोगी रखती है मौसम बदलने के वातावरण से ।

नव रात्री में अपने शरीर से जुड़ अपने स्वभाव रूपी विकार दूर करे
जिसके कारण आप लोगो समाज से दूर हो जाते हे
जय माता दी

कृष्णा कांत मिश्रा
कृष्णा गुरुजी
अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक हीलर 



https://en.wikipedia.org/wiki/Krishna_Mishra?wprov=sfla1

टिप्पणियाँ

Dinu ने कहा…
Logical and simple explanation made me aware about meaning and purpose of Navaratri. Thank you for your detailed post
KrishnaGuruji ने कहा…
धन्यवाद कृपया इसे आगे बड़ा जागरूकता बड़ाए

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