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क्या सिखाता है कोरोनॉ काल का श्रावण

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क्या सिखाता है कोरोनॉ काल का श्रावण प्रक़ति की हर चीज की कृतज्ञता देने के लिये श्रावण माह आता है जिसमे अधिकांश लोग दूध पत्ती वाली सब्जियां त्याग कर विष धारी नीलकंठ महादेव की आराधना झूम झूम कर समूह में करते थे ।रुद्राभिषेक द्वारा प्रक़ति की हर चीज में शिव एवम उसकी कृतज्ञता का गान करते थे। लेकिन क्या हुआ इस साल  सभी घरों में महादेव की आराधना समूह में नही घर पर कर रहे है।खूब बिलपत्र   चढ़ाए शिवलिंग पर फूल आंकड़े से मेरा श्रृंगार किया आज तुझे प्रकृति के श्रृंगार में मेरा सहायक बनना है नकरात्मकता में सकारात्मकता  की दृष्टि से देखे तो येह साफ संदेश  दिया त्रिलोकी नाथ महादेव ने की मेरी प्रकृति लोक के साथ है मानव से संतुलन बिगड़ने लगा था जितना तू उपयोग कर रहा था उसके एवज में कितने पौधे रोपित कर रहा था ।इस श्रावण तू रोज रुद्राभिषेक कर घर के आस पास   पौधा रोपित कर ।क्यो की आने वाले समय मे मेरे प्रकृति लोक को हरा भरा तूने नही रखा तू तेरा जीवन अंसभव होगा इस लोक में  तो आइए मिल कर संकल्प ले।दिलो की नजदीकियों के साथ सामाजिक दूरी रख मास्क लगा मौन धारण कर 12 पौधे रोपित कर  12 ज्योतिर्लिंग  को स

कोरोना तुझे सजा जरुर मिलेगी

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कभी जीवन मे ऐसे भी पल आएगे सोचा ना था।सामने बैठा था मेरे लेकिन वो मेरा न था।ना उसे गले लगा सकता था।ना सीने से लगा सकता था।कोरोना माना तू एक वायरस है।तेरे जैसे वायरस पहले भी आये  चले गए।लेकिन तूने जो इंसान को इंसान से दूर करने की सज़ा दी है बुखार खासी कफ तो हमेशा आते जाते रहते है पर इंसान को इंसान से दूर मत कर।।भले बड़ा अपना कहर मंजूर है तेरा बुखार खासी पर एक माँ को बच्चे से दूर मत कर.  लाख तू सोशल डिस्टनिंग् से दूर कर लेगा।पर दिलो से नही दीवाली ईद पर फिर गले मिलेंगे ।पर तेरे नमो निशान नही मिलेंगे।Tb इबोला स्वाइन फ्लू स्वेन नही को मार भगाया।तेरे भी  वैक्सीन बनाएगे।इंसान से इंसान को दूर करने की सज़ा तुझे अवश्य दिलाएंगे https://youtu.be/aSu4sJnst0I

कोरोना तुम कौन हो

 " कोरोना तुम कौन हो"   "भय बिन प्रीत न होय रामा" को सार्थक करते हुए, अपने एवं अपनो में ही निस्वार्थ प्रेम बसता है बताने वाले,कलयुग में जो भी गलत काम होते थे  उसको तत्काल बंद करने वाले,पर्यावण को स्वच्छ स्वस्थ एवम प्रकृति  के साथ जो मानव ने अत्याचार किया उसका अहसास कराने वाले, सब मंदिर बंद करवा अपने अंदर ही भगवान है इसका अहसास कराने वाले। जो आपकी मदद करे उसको भगवान मान उसकी कृतज्ञता में ताली,थाली बजाने वाले इस अस्थाई शरीर को स्थायी मान अपने यश मद,पैसे, अहंकार से अपनी शोहरत पर आसमाँ में उड़ने वालो को जमीन का अहसास  कराने वाले  कोरोना तुम कौन हो एक दिन सबको जाना है पर मुफ्त में मिल रही श्वास की महत्ता का अहसास दिलाने वाले मानव को आज तक कि सब भूलो का प्रयाश्चित करवाने वाले कोरोना तुम कौन हो।पूरे विश्व को एक करने वाले कोरोना तुम कौन हो बोहत हो चुका तुम्हारा खेल ले ली तुमने न जाने कितनों की जान',अपना कहर कम करो हम भी मानव है तुम्हारे खात्मे की दवाई जरूर बनाएंगे इंसान से इंसान को दूर करने की सज़ा तुम जरूर दिलाएंगे । चेचक स्वाइन फ्लू  इबोला नही टि

शनि मकर राशी में प्रवेश घरेलू उपाय

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पुत्र के कमरे मकर में पिता पुत्र का मिलन30 वर्ष बाद

में औऱ मेरी स्वार्थी दीवाली की बधाई #Krishnaguruji

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में और मेरी दीवाली की स्वार्थी बधाई # Diwali #Motivation  #Krishnaguruji #Diwali2023 #Diwaliwish2023 #Tranding Blog, सालों से दीवाली,दशहरे पर्व मनाते आ रहे है  बड़े बुजुर्गों से आशीर्वाद एवम छोटो को प्यार देते आ रहे है गत वर्षों से न जाने समाज को क्या हुआ की त्योहार भी अपने धर्मो के हिसाब से  बांट लिये। रही बात मेलजोल ,आने जाने की वो भी अपने स्वार्थ एवम इगो से बांध ली। आज कही जाने की सोचते है तो प्रश्न आता है वो नही आया तो में क्यों जाऊ। येह हमे हमसे ओहदे ,पद, में बड़े ,जहा हमारा स्वार्थ जुड़ा है उन लोगो के बारे में सोचने में नहीं आता वहां हैम तत्काल पोहच अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते है  ऐसा क्यों उसका फ़ोन नही आया तो में क्यों लगाऊ  ।कही में छोटा न बन जाऊं त्योहार आते ही इसलिये है कि आपस मे मेल जोल बना रहे। पर हम आपस मे मेलजोल बढ़ाने की बजाय हमारे स्वार्थ, अहंकार से मेल जोल ज्यादा रखना चाहते  है। बड़े रुतबे से व्हाट्सएप या फेसबुक पर आई बधाई देख अपनी प्रतिष्ठा पर गर्व करते है।पर ध्यान से देखोगे तो उसका चंद % ही एक साल में आपसे मिला है या जानता है भ्रम स्वार्थ अहंकार की दुनिया से बा

स्वयं के राम से स्वयं के रावण का दहन

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"स्वयं के राम से स्वयं के रावण का दहन" वर्षों पुरानी परंपरा विजयादशमी पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के लिये मनाया जाता है। शास्त्र कहते है कि रावण का दाह संस्कार नहीं हुआ था।इसी लिए रावण का दहन करना एक परंपरा बन गई। इस कलयुग में रावण दहन मात्र एक खेल से बन गया है।अपने छोटे बच्चो को रावण दहन दिखाना मात्र मनोरंजन का साधन बन चुका है एवम राजनीति लोगो के लिए राजनीतिक अखाड़ा। सब जानते है कि रावण एक  सर्व ज्ञानी ब्राह्मण था जो असुर वंश में पैदा हुआ था।पर अपनी शिव साधना से शिव तांडव रच शिव की असीम कृपा का पात्र बना येह वही रावण है जिसने अपनी मंत्र शिव साधना से ग्रहों को अपने वश में किया। यहां तक राम सेतु के निर्माण के वक़्त राम द्वारा ब्राह्मण कार्य का आमंत्रण देने पर विधिवत पूजन भी  किया  किसी इंसान की मंशा एवम कर्म देखना चाहिए रावण के जन्म के बारे में सबके अलग अलग मत है।एक सम्प्रदाय तो रावण को विद्याधर कहता है आज के इस कल युग मे क्या विजयादशमी दशहरा का मतलब सिर्फ रावण दहन कर एक दूसरे को विजया दशमी की वधाई देना है ।आज के परिवेश में तो सिर्फ येह वधाई व्हाट्सएप्प फेसबुक की ब

GanpatiPujan Human Service: अन्धन को आंख देत कोडन को काया

GanpatiPujan Human Service: अन्धन को आंख देत कोडन को काया : " अन्धन को आंख देत कोडन को काया " विध्न हरता।बुद्धि प्रदायक।मंगल मूर्ति ।रिद्धि सिद्धि कर दाता और न जाने कितने असख्य नाम से जाने...