तुम जिस में भगवान देखोगे वोह तुम में ग्राहक

 कब तक एक ही इंसान में भगवान देखते रहोगे
-हाथरस हादसा
(तुम उसमें भगवान देखोगे वो तुम में ग्राहक)
तुझ में नारायण  मुझ में नारायण का संदेश देने वाला सनातन धर्म को क्या हो गया इस कलयुग में की अधिकांश जन मानस अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए एक ही इंसान में भगवान देखने लगा।जब की ईश्वर ने सबको एक जैसा बनाया है एक जैसी शक्तिया  दे कर भेजा है
हाथरस के हादसे में मची भगदड़ से हुई  असामयिक मृत्यु ने फिर देश को हिला कर रख दिया।
इस प्रकार घटना क्यू होती है सिर्फ सिर्फ अपनी इच्छा पूर्ति के लिए कब तक चलता रहेगा तथाकथित  बुद्धिमानो के स्वार्थ का खेल अपने आप को भगवान कहलाने वालों का खेल जिसमे  अज्ञानी लोगो की बलि चढ़ती रहेगी जिनको  ज्ञान की दुनिया में लाना  भगवान बने इन बाबाओ का कार्य है
जितने आध्यात्मिक संत बाबा उतनी अलग अलग बाते एक ही प्रश्न के  अलग अलग जवाब संतो के द्वारा क्या सरकार द्वारा कोई ठोस संहिता बननी चाहिए
आज कल तो किसी और भीड़ का दृश्य अपने सत्संग में दिखा भ्रमित करना आम हो गया है
हाथरस जैसी घटना फिर न हो उसके लिए  सावधानी सरकार आम जन मानस को भी लेना होगी
ईश्वर भगवान संत गुरु ज्ञान समर्पण से आपकी विषमताओं से लड़ने की ताकत देते है ना कि आपकी इच्छा पूर्ति का माध्यम
जिस भगवान राम कृष्ण ने धरती पर आ कर कितनी पीड़ा झेली उन्हीं के पास जाते हो अपनी पीड़ा मुक्ति के लिए
सुख सुख साथ में ले कर चलना ही सच्चा जीवन है.


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