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दिवाली की सफाई में ध्यान रखे

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 वस्तु एवम वास्तु कही ना कही जुड़े हे  घर में किस वस्तु को रखना या नहीं रखना  दिवाली की सफाई करते वक्त ध्यान रखे कुछ बाते। दिवाली आने को है गरीब हो या अमीर अपने अपने घर की सफाई में लगा हुआ है ।पुराना सामान कपड़े बर्तन घर के बाहर करने में लगा है।सफाई करते वक्त इन बातो पर विशेष जोर दे 1) पुराने जूते चप्पल जो आप पहनेगे कभी यह सोच कर रख रखे है पर पहनते नही  एवम ना आगे पहनेंगे उसको घर के बाहर करे महिलाए मैचिंग की रखती हे फुटवियर उसको साफ करे 2 पुरानी दवाई बॉक्स में अगर कोई मेडिसिन एक्सपायर रखी हे उसको तत्काल घर के बाहर करे एवम दवाई का डब्बा भी बदले 3) पूराने बंद मोबाइल घड़ी ठीक कराना हे उपयोग में आएगा यह सोच कर पिछली दिवाली भी रख लिया था उसको ठीक करवा एक कपड़े या बॉक्स में रखे वरना बाहर किसी को दान कर दे। 4) कृपया पुराने कपड़े  दे कुछ स्टील के बर्तन लेने का प्रयास ना करे किसी गरीब संस्था को दान करे जिससे कोई जरूरतमंद उसका उपयोग कर सके। 5( अपने पूजा घर मंदिर को अंदर से भी देख ले आवश्कता से अधिक मूर्तिया न रखे।जो मूर्तिया 1 से अधिक हो उसको बाहर कुएं में या बहते पानी में ठंडा कर सकते हे।सिर्फ

बने खुद के गणपति

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  बने खुद के गणपति हम (विशेषकर व्यथित लोग) चमत्कारों को अत्यधिक महत्व देते हैं और उनकी खोज करते हैं। सिद्धिविनायक या लालबागचा राजा गणपति आदि पर भीड़ क्यों है? ऐसा इसलिए है क्योंकि उन जगहों पर देवताओं को चमत्कार करने के लिए माना जाता है और लोगों की भीड़ अपने जीवन में ईश्वरीय हस्तक्षेप और एक तरह के चमत्कार की तलाश में घंटों कतारों में प्रतीक्षा करती है। इस देवता की मूर्ति आपके घरों में या समाज में या सर्वव्यापी दिव्यता से अधिक शक्तिशाली कैसे है? यदि आप देखें, तो चमत्कार और कुछ नहीं बल्कि मानवीय संभावनाओं के बारे में हमारी समझ से बाहर की घटना है। यह हमारी अपनी समझ है जो सीमित है, संभावना नहीं। संभावना का पता लगाने के लिए सही प्रयास करना पड़ता है लेकिन हम त्वरित सुधार चाहते हैं और अपनी ऊर्जा को खुद को बदलने में निवेश नहीं करना चाहते हैं और इसलिए चमत्कार करने वाले देवताओं / संतों के लिए भीड़। इसके अलावा हम किसी भी तरह इस तथ्य को स्वीकार नहीं करते हैं कि जीवन निष्पक्ष है, इसमें सभी को पेंच करता है और कोई भी जीवित नहीं निकलता है। स्वर्ग तो हर कोई जाना चाहता है लेकिन मरना कोई नहीं चाहता... यह

MY DIWALI WISH CONDITIONAL?

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 Diwali greetings will strengthen your planets  For years, we have been celebrating the festival of Diwali, giving blessings from elders and love to the younger ones.  Since the last years and also due to Kovid, mutual   The interaction dwindled.   To come and go, she was also tied to her selfishness and ego.  If you think of going somewhere today, then the question comes, if he did not come, then why should I go.  We are not able to think about those people where our selfishness is attached to us, in rank, position, where we immediately reach and register our presence.   Why so  If his phone does not come, then why should I put it. I should not become small somewhere.  As soon as the festival comes, it is so that there should be harmony amongst themselves.  But instead of increasing interaction with each other, we want to keep more rapport with our selfishness, ego.  We take pride in our reputation by seeing congratulations on WhatsApp or Facebook with great status. But if you look ca

"आपका लालच अंधविश्वास बनाता हे ठग तांत्रिक"

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  " आपका लालच  अंधविश्वास बनाता हे ठग तांत्रिक" आज भी कई ऐसी घटनाए होती रहती हे जिस पर आश्चर्य एवम हंसी दोनो आती है जल्दी से पैसा कमाना,कोर्ट कचहरी से मुक्ति,कर्ज मुक्ति ,पैसा डबल करना इस प्रकार की उम्मीद इंसान किसी पंच तत्व के इंसान से लगाता आ रहा हे ।और  अधिकांश जगह मूर्ख बन अपना पैसा समय बर्बाद करता आ रहा हु इंसान अपने लालच ,मजबूरी में इनका शिकार ना जाने कितने समय से बनता आ रहा हे।पर भी आज नए नए पैदा हो रहे हे इसका मूल कारण अंधविश्वास ओर इंसान का लालच आज समाज इस दौर में हे ।खुले आम फेस बुक पर सोशल मीडिया में कोर्ट केस से मुक्ति,किसी को वश में करना,ऐसे पेज मौजूद हे इंसान को सावधान होना पड़ेगा इन भ्रामक विज्ञापनों से।एवम जब तक कोई आपका अपना  किसी के पास जाना सत्यापित न करे जब तक किसी अनजान व्यक्ति से अपने लालच अंधविश्वास से ना मिले आप उस में अपनी समस्या का समाधान ढूंढ रहे हे।वो आप में ग्राहक जितने अवतार हुए राम कृष्णा अन्य सभी ने धरती पर जब पंच तत्व शरीर लिया अपनी लीला के साथ तकलीफ भी झेली आज इस कलयुग में हर इंसान किसी ना किसी परेशानी से ग्रस्त हे वो शरीर का दर्द, रि

इंसान की जान से बड़ा हो गया धर्म का मान

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 इंसान का लहू पत्थर,कागज, बूतो से सस्ता-चिंतन आज जिस समाज में हम जी रहे हे अपने अपने धर्म को जीवन शैली मान।मेरा मानना हे धर्म ,जाति,पंथ आपको जीवन का उपयोग कैसे करे इसका पाठ पढ़ाता है.. वह दिव्य शक्ति जो आपकी श्वासो का संचालन कर रही हे अलग अलग नामो से जानी जाती हे ईश्वर अल्लाह गुरुग्रंथ साहिब ,जीजस, अन्य कही ना कही आप देखेगे मानव का बटवारा इन में हुआ।ईश्वर ने कही कुछ नही बाटा।सबको एक समान शरीर दिया पर मेरा मानना हे पत्थर की मूरत  कागज के ग्रंथ को आपके अतीत बड़ो की सिख विश्वास श्रद्धा भक्ति ने ईश्वर अल्लाह गुरु ग्रंथ साहेब को दर्जा दिया आपकी श्वासों के संचालक का नाम दिया आज इस कलयुग में अपने अतीत के ज्ञान श्रद्धा धार्मिक किताबो से मिले ज्ञान से हम आने वाले भविष्य की इबारत लिख रहे हे  आपका धर्म जाति आपकी अनमोल धरोहर है किसी को उसका अपमान करना का अधिकार नही।जिस प्रकार आप अपनी स्वयं के माता पिता की इज्जत करते हे।उसी प्रकार उनकी आयु के लोगो को माता पिता का दर्जा देते हे ।उसी प्रकार हम अपने धर्म के साथ दूसरे धर्मो का भी आदर करते हे । कोई हक नही बनता इन श्रद्धा भावना से जुड़ी शक्तियों का कोई अ

COMBUSTION OF SELF RAVANA BY OWN RAMA

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  "Combustion of own Ravana by  own Rama" Years old tradition Vijayadashami festival is celebrated for the victory of good over evil. The scriptures say that Ravana was not cremated. That is why burning Ravana became a tradition. In this Kali-yuga, Ravana combustion has become a mere game. Showing Ravana combustion to your little children has become a mere means of entertainment and political arena for the people of politics. Everyone knows that Ravana was an all-knowing brahmin who was born in the Asura dynasty. But by his Shiva sadhana, Shiva created the orgy and became the object of Shiva's infinite grace. This is the same Ravana who controlled the planets with his mantra Shiva Sadhana.  Even at the time of construction of Ram Setu, after inviting Brahmin work by Ram, duly worshiped, one should see the intentions and deeds of a person. Everyone has a different opinion about the birth of Ravana. One sect calls Ravana as Vidyadhar. In today's era, does

पितृ प्राणायाम पितृ ध्यान

 #sarvpitraamawasya #krishnaguruji     (सर्व पितृ अमावस्या विशेष) पितृ योग, पितृ प्राण ायाम, पितृ ध्यान, हमारे पूर्वज शरीर यही छोड़ अंतिम श्वास को वायु में छोड़ विलीन हो गए आज में आपको वायु के माध्यम से कृतज्ञता बताऊंगा अधिकांश लोग अपने पूर्वजों की तारीख तिथि मालूम न होने से असमंजस में रहते हे। उनके लिए  होती हे सर्व पितृ अमावस्या सर्व पितृ अमावस्या पर किया गया तर्पण श्राद्ध सभी पितृ तक पहुंचता हे ।यहां तक वो पितृ जिनके बारे में आपको जानकारी भी नही उन तक भी कृतज्ञता पोहचती हे सामान्यतः सर्व पितृ अमावस्या पर ब्राह्मण भोज तर्पण का विधान हे ।अब की बार आप पितृ प्राण ायाम पितृ ध्यान  भी कर अपने पितृ दोष का निवारण भी कर सकते हे श्राद्ध पक्ष में करे पितृ प्राण ायाम -पितृ दोष का सटीक उपाय कोई कार्य रुक रहा हो ,बार बार काम आखिरी मे आ कर रुक जाता हो,मांगलिक कार्यों मे व्यवधान आता है  ज्योतिष शास्त्र अनुसार जातक पितृ दोष से पीड़ित बताया जाता है पितृ दोष क्या है जातक की पत्रिका में अगर 9th घर में अगर सूर्य ग्रह हो।एवम उसके साथ राहु,केतु,शनि भी साथ ही पितृदोष बनता है।अगर 9वे घर के घर क