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भिक्षुक से ज्यादा कष्ट प्रद भिक्षुक की वृत्ति

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      भिक्षुक से ज्यादा कष्ट प्रद   भिक्षुक की वृत्ति हम भिक्षुक शब्द सिर्फ जो रास्ते में पैसे मांगता है उस तक सीमित रखते है जहा तक मेरा व्यक्तिगत अनुभव है की अधिकांश भिक्षुक जो लंबे समय से पैसा मांग रहे है उनकी पैसे मांगने की आदत उनके जीवन का अंग बन गई है आइए भिक्षुक शब्द को समझते है।भिक्षा मांग कर जीवन यापन करने वाला भिक्षुक भिखारी शब्द भी भिक्षुक का उदगम है पुरातन गुरु परंपरा में लोग सदा तत्पर रहते थे भिक्षा देने में कोई भिक्षुक घर के द्वार खाली जाए तो अपशगुन मानते थे  एवम भिक्षा मांगने वाला भी जो उसको भिक्षा में मिलता था उसे स्वीकार कर आशीर्वाद दे कर जाता था वर्तमान में यह युग कलयुग है जिसमे दैविक संपदा असुरीय संपदा दोनो इंसान में ही मौजूद है।।एक युग सतयुग था जिसमे दानव देवताओं के अलग अलग लोक हुआ करते थे।त्रेता युग में दो देश हुए।द्वापर में एक ही परिवार में,कलयुग में दोनो असुर देवता इंसान में ही मौजूद है आज के परिवेश में भिक्षुको की बात करे तो मेरे हिसाब से कई प्रकार के भिक्षुक हर इंसान में मोजूद है आइए जानते है 1) अर्थ पैसों का भिक्षुक भिखारी जगह जगह रास्ते में आपको भिक्षुक मिलते

unknown fear BY DIVINE ASTROHEALING #KRISHNAGURUJI

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गणतंत्र दिवस पर राष्ट्र निर्माण हेतु अवश्य करे

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 राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस पर कृष्णा गुरुजी का निवेदन देश के नागरिक एवम विदेश के सभी भारतीयों से। 26 जनवरी गणतंत्र दिवस की 73 वर्षगांठ पर आज देश विदेश के नागरिकों से अपील की हे डोनेशन का मतलब Do FOR NATION  .जिस प्रकार हमारे घर में किसी बड़े छोटे का जन्म दिन हम सेलीब्रेट करते हे।उसी प्रकार हमारा देश के संविधान को 73 वर्ष हो गए।जिसका पालन हर नागरिक करता है क्यू ना कुछ डोनेशन नेशन के नाम कर इस मुहिम को शुरू करे।देश प्रमुख की संकल्प वाणी सबका साथ सबका विकास सबका प्रयास को बल दे .अपने देश के साथ साथ अप्रवासी भारतीयों को भी यह संदेश दिया।कृष्णा गुरुजी ने कहा की विप्पति आपदा आने पर हम राहत कोष में सहयोग राशि डालते ही हे इसको देश का जन्म दिन मनाते ही हे क्यू ना जिस प्रकार हमारे घर में किसी का जन्म दिन होता हे तो हम खर्च करते हे।क्यू ना ऐसा नियम बनाए मेरे पूरा विश्वास हे आने वाले समय में यह विचार एक मुहिम बन जन सहयोग की मिसाल भारत निर्माण में एक अहम भूमिका निभाएगी. https://en.wikipedia.org/wiki/Krishna_Mishra https://youtu.be/GIAIuINzWkoराष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस पर कृष्णा गुरुजी का नि

पिता पुत्र दिवस(मकर सक्रांति)

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"मकर सक्रांति*   क्या करे क्या न करे मकर सक्रांति पिता  पुत्र दिवस" मकर सक्रांति एक खगोलीय घटना हे जिसका ज्योतिष आध्यात्म एवम गृहस्थ जीवन में बड़ा महत्व हे । 1)ज्योतिषी महत्व (Astrological view) मकर जो  ग्रह शनि देव की राशी हे।सक्रांति अर्थात हर माह।सूर्य देव जो ज्योतिष शास्त्र अनुसार ग्रहों के राजा हे हर माह 12,राशियों में  से एक में पूरे माह भ्रमण करते हे जब मकर राशि में एक माह के लिए आते हे तब मकर सक्रांति का त्योहार मनाते हे। सूर्य ग्रह मकर सक्रांति से ही उत्तरनारायण होते है।चुकी हर ढाई वर्ष में राशि बदलने वाले शनि ग्रह गत वर्ष पूरा माह अपने पिता सूर्य देव के साथ थे यह अंतिम वर्ष होगा अब 30वर्ष बाद ही मकर राशि में पिता पुत्र एक साथ मकर राशि में होगे।14 जनवरी 2050 में मकर राशि में  पिता पुत्र मिलन होगा 2) आध्यात्मिक विचार(Spriruail View) आध्यात्मिक विचारों से आज ही के दिन गंगा नदी का उदगम हुआ था।तथा  भीष्म पिता माह ने महाभारत युद्ध के बाद बाणों की शैय्या पर मृत्यु के लिए मकर सक्रांति का दिन ही चुना था सूर्य के उत्तरनारायण  होने पर सभी दैविक शक्तियां जागृत ह

दिवंगत श्रद्धा की मार्मिक चिट्ठी

 " दिवंगत श्रद्धा की माता पिता एवम देश के राष्ट्रपति प्रधान मंत्री को मार्मिक चिट्ठी" प्यारी मम्मी और पापा  आप लोगो ने मुझे खुद तकलीफ झेल खुशी नाजों से पाला एवम हर इच्छा पूर्ण कर अच्छी शिक्षा दे बड़ा करा मेरी सबसे बड़ी भूल रही की जैसे ही में बड़ी हुई  अपने लिए सपने देखने लगी।अपने मेरे जन्म होने के बाद मेरे बिना कोई सपना नही देखा ।पर में नादान आपके बगैर सपने देखने में व्यस्त हो गई। आपके समझाने के बाद भी में नहीं मानी ।आप मेरी इच्छा के विरुद्ध बात करते थे पर में भूल गई थी आप ही मेरे सबसे पहले शुभ चिंतक थे।पर में नादानी में आपको अपना दुश्मन मान घर छोड़ आफताब के साथ चली गई।सबने मुझे मना किया था दोस्तो ने भी पर मेने किसी की नही सुनी। धीरे धीरे प्यार का रंग उतरने लगा और मुझे वही रंग दिखने लगा जो आपने समझाया था  ।भले मेरे 35 टुकड़े कर उसने मेरा चेहरा जला मार डाला में भी अपने आप को आफताब जितना दोषी मानती हु की क्यू में समझाने के बाद किसी की भी  नही मानी माता पिता जो बच्चो के सबसे बड़े शुभ चिंतक क्या भगवान होते हे। आप भगवान तुल्य लोगो का कहना ना मान मेने तकलीफ पाई। इसका दोष  मेंअपने आ

दिवाली की सफाई में ध्यान रखे

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 वस्तु एवम वास्तु कही ना कही जुड़े हे  घर में किस वस्तु को रखना या नहीं रखना  दिवाली की सफाई करते वक्त ध्यान रखे कुछ बाते। दिवाली आने को है गरीब हो या अमीर अपने अपने घर की सफाई में लगा हुआ है ।पुराना सामान कपड़े बर्तन घर के बाहर करने में लगा है।सफाई करते वक्त इन बातो पर विशेष जोर दे 1) पुराने जूते चप्पल जो आप पहनेगे कभी यह सोच कर रख रखे है पर पहनते नही  एवम ना आगे पहनेंगे उसको घर के बाहर करे महिलाए मैचिंग की रखती हे फुटवियर उसको साफ करे 2 पुरानी दवाई बॉक्स में अगर कोई मेडिसिन एक्सपायर रखी हे उसको तत्काल घर के बाहर करे एवम दवाई का डब्बा भी बदले 3) पूराने बंद मोबाइल घड़ी ठीक कराना हे उपयोग में आएगा यह सोच कर पिछली दिवाली भी रख लिया था उसको ठीक करवा एक कपड़े या बॉक्स में रखे वरना बाहर किसी को दान कर दे। 4) कृपया पुराने कपड़े  दे कुछ स्टील के बर्तन लेने का प्रयास ना करे किसी गरीब संस्था को दान करे जिससे कोई जरूरतमंद उसका उपयोग कर सके। 5( अपने पूजा घर मंदिर को अंदर से भी देख ले आवश्कता से अधिक मूर्तिया न रखे।जो मूर्तिया 1 से अधिक हो उसको बाहर कुएं में या बहते पानी में ठंडा कर सकते हे।सिर्फ

बने खुद के गणपति

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  बने खुद के गणपति हम (विशेषकर व्यथित लोग) चमत्कारों को अत्यधिक महत्व देते हैं और उनकी खोज करते हैं। सिद्धिविनायक या लालबागचा राजा गणपति आदि पर भीड़ क्यों है? ऐसा इसलिए है क्योंकि उन जगहों पर देवताओं को चमत्कार करने के लिए माना जाता है और लोगों की भीड़ अपने जीवन में ईश्वरीय हस्तक्षेप और एक तरह के चमत्कार की तलाश में घंटों कतारों में प्रतीक्षा करती है। इस देवता की मूर्ति आपके घरों में या समाज में या सर्वव्यापी दिव्यता से अधिक शक्तिशाली कैसे है? यदि आप देखें, तो चमत्कार और कुछ नहीं बल्कि मानवीय संभावनाओं के बारे में हमारी समझ से बाहर की घटना है। यह हमारी अपनी समझ है जो सीमित है, संभावना नहीं। संभावना का पता लगाने के लिए सही प्रयास करना पड़ता है लेकिन हम त्वरित सुधार चाहते हैं और अपनी ऊर्जा को खुद को बदलने में निवेश नहीं करना चाहते हैं और इसलिए चमत्कार करने वाले देवताओं / संतों के लिए भीड़। इसके अलावा हम किसी भी तरह इस तथ्य को स्वीकार नहीं करते हैं कि जीवन निष्पक्ष है, इसमें सभी को पेंच करता है और कोई भी जीवित नहीं निकलता है। स्वर्ग तो हर कोई जाना चाहता है लेकिन मरना कोई नहीं चाहता... यह