महामारी में हुई मेरी भगवान से बात

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 कोरोना काल के लॉक डाउन में मेरी भगवान से बात चीत-


सादर नमन में तो धन्य हो गया आज आपके दर्शन पा कर

भगवान-अरे बेटा में तो तेरे साथ ही तो हु।

भ से भूमि। ग से गगन वा से वायु अग्नि न से नीर जल सब कुछ तो तुझे दे कर भेजा हे

कभी यात्रा में अपने ड्राइवर का चेहरा देखा है।अरे जब ट्रेन में जाता हे तो ड्राइवर का चेहरा देखता हे।फ्लाइट में पायलट का।वैसे ही तेरी जीवन यात्रा में तेरे पास हु

में तो हर पल तेरी श्वास के 

साथ हु।जैसे तेरी कार ड्राइवर चलाता है वैसे ही मेरी तेरी श्वास चलाता हु।तेरी हर बात का पालन उसी प्रकार करता हु जिस प्रकार तेरी गाड़ी का ड्राइवर तेरी हर बात तेरी मर्जी के हिसाब से चलता है।में भी चलता हु।तू अच्छे काम करे तो भी साथ।बुरे करें तो तुझे याद दिलाता हु यह रास्ता गलत हे।पर फिर भी तू चलने का बोलता में चल देता हु।मेने तुझ पर कोई पाबंदी नहीं लगाई


मेने पूछा- भगवान यह सुख दुख क्यों महामारी में तूने मेरे अपनो की जान ली इतना दुख  जीवन संकट में ला दिया


भगवान-बेटा इसका चिंतन तू ही कर ऐसा क्यों हुआ।

मेने पूछा-मेरे परिवार में बड़ा संकट में कुछ की तो जान चली गई

भगवान- तूने की चैन(key chain)देखा हे।कहने को एक चाबी का गुच्छा हे पर हर चाबी का उपयोग अलग एवम उनकी जीवन यात्रा अलग अलग हे। ऐसे ही (तू अपने परिवार को की चैन समझ) क्यू की उनकी श्वास भी में चला रहा हु तुझे  तेरी पत्नी कोनया जन्म देने के लिए के लिए भी मेने सर्वोच्च सुख से नवाजा।एवम तुम्हे मेरा दर्जा दिलवाया।पर तू अधिकतर उस में उलझा रहा अपने परिवार के प्रति कितना सच्चा था उनका लालन पोषण किस कमाई से कर रहा था सिर्फ तू पैसे खर्च कर रहा था बाकी सभी चीज तो मेने तुझे निशुल्क दी थी।इसकी कीमत तूने लगा दी। तूने अपने पैसे संभाले कमाई पर ध्यान दिया।अपने रिश्तों पर ध्यान दिया उसी का खामियाजा तुझे अदा करना पड़ रहा है ।

तुझे पानी हरियाली धरती सब निशुल्क दी थी।इसका व्यवसाय तूने किया ।अगर तूने तेरे बच्चे पाले तो कोई बड़ा काम नहीं किया इसी स्वार्थ से की बुढ़ापे में तेरा साथ देगे। पर भूल गया उनकी श्वास में चला रहा हु।।मेने निस्वार्थ दुनिया बनाई थी तूने स्वार्थ की बना डाली।तूने आज तक अपनी सोच अपने स्वार्थ अपने परिवार के ऐशो आराम तक सीमित रखी तू भूल गया उनकी श्वास भी में चला रहा हु।उनकी भी एक बैलेंस शीट हे।मेरे परिवार के ऊपर ध्यान दिया जो कही विकलांग था गरीब था।तू चाहता तो उनका ध्यान अपने परिवार के साथ रख सकता था।

पर तू अपने स्वार्थ से उबर ही नही पाया । अरे तूने यह सोचा जिनके लिए इतना छोड़ कर जाने की सोच रहा हे वो तेरे ही मकान में तेरा फोटो लगाएंगे की नही ।वो तो मेने श्राद्ध पितृ दोष जैसे डर बना दिए तब तेरा याद भी करेगा कोई जो आज विलुप्त होती जा रही है

 अरे तू तो मुझे भी अपने स्वार्थ से याद करता  है। स्वार्थ पूरा न होने पर मुझ को भी बदल देता है किसी और रूप में जाकर

पर भूल  जाता हे रात सोते वक्त तेरे साथ कोई रहता है।नींद में श्वास कौन चलाता हे।अरे तूने मेरी श्वास पर ही गौर किया होता तो आज मेरे जैसा तू भी होता।मेने मेरी पूरी शक्ति तुझे दे कर भेजा की तू अपने परिवार के साथ मेरे परिवार(गरीब,विकलांग ,वृद्ध) की दुख यात्रा में उनका सहयोग  देगा पर  अपने झूठे यश शोहरत  के लिए

अगर उनके लिए कुछ किया भी तो अपने नाम का ठप्पा लगा दिया फोटो खींचा किया बड़ा दानवीर बन गया जैसे उनकी श्वास तू ही चला रहा हे

मेने एक गलती की तुझे सब स्वचालित अंग दे कर हार्ट तुझे इस धरती पर लाने से पहले उसने काम शुरू किया।श्वास ।

चल छोड़ अब बता तू क्या चाहता है

मैं-भगवान माफ कर हमे रास्ता दिखा अब इस महामारी में हम क्या करे हमे इसका अहसास हो रहा हे।

भगवान - अब मेरी बात सुन  एक हाथ मेरे परिवार(जिनके जीवन का तू भगवान बन सकता है उनकी मदद करके अगर तूने कोई मदद की तो वो धन्यवाद भी मुझे देगे ।मेरी चीज मुझ तक आने दे अपनी कर्त्ता भाव त्याग दे

मेने सुख और दुख मिला कर दुनिया बनाई थी यह सोच कर की जो सुखी हे वो दुखी लोगो का ध्यान रख दुख कम कर मेरी मदद करेगा।पर तू अपने सुख को बड़ाने में लग गया। अरे किसी के शोक होने पर उनकी शक्ति खुद बन रोज परिवार से बात करने की बजाय वो काम भी मुझे दे दिया की हे भगवान परिवार को देख देने की शक्ति दे।तू क्या करेगा और दिखावा।जिस परिवार में गमी शोक हुआ हो उस परिवार से तू रोज बात कर उनकी हिम्मत बड़ा।हर काम में ही करू।।कोरोना में तुझे जब हॉस्पिटल में जगह ऑक्सीजन इंजेक्शन नही मिल रहा तो मेरे पास आया निकल पड़ा काला बाजारी  को बढ़ावा दे अपनो की जान बचाने इस महामारी में भी मेने कितने स्वार्थी, कितने राक्षस देखे उनको वक्त आने पर बताउगा (अभी वो जीवन यात्रा में हे)

मेरी प्रार्थना दोनो हाथ जोड़ करने की बजाय

एक हाथ आगे बड़ा निसहाय लोगो की

 उनकी आंखे बन उनकी टांगे बन अंधे लगड़ो का सहारा बन ।मेरा हाथ बटा।मेने तुझे सब शक्ति से कर भेजा है

पौधे से पेड़ तक की यात्रा में सहयोग कर।बजाए पौधे लगा फोटो खींचने के।

कुछ मेरे ही बंदे हे तेरे जैसे जो मेरी बनाई दुनिया चला रहे हे

दुनिया में चला रहा हु कोई कौन मेरी मदद करता है या अपने स्वार्थ में लिप्त रहता हु।डर से दवाई इक्कठी कर घर बैठ जाता हे ।यह सोच कर किसी को क्या पता।अरे तेरी एक एक हरकत में जानता हु

सिर्फ महामारी हर 100 साल में लाता हु।ताकि तू गलतफहमी ना पा ले की चार पैसे कमा कर तू लोगो का घर,दुनिया चला रहा हे।गीता में कह चुका हु किसी की मृत्यु नही होती।वो तेरे अपने होने से पहले मेरे हे।

मेरी प्रकृति हवा जल हरियाली ।निसहाय लोगो का ध्यान रख फिर कुछ हो तो मुझे बोल

बड़े दुखी मन से मेरी व्यथा बोल रहा हु मुझे लगा कीतुझे सुखी बना तू मेरे बंदों के दुख बांटेगा।पर तूने मुझे ही बाट दिया मेने सब के शरीर एक से बनाए पर तूने धर्म जाति में बात अपने धर्म की अहमियत बड़ाने में लग गया बजाए इंसानियत के। जोर जोर से मेरी आरती अन्धन को आंख देत कोडन को काया कितने अंधों की आंखे बना कोढ़ी को देख तुझे घिन आती है।मेरे लोगो का ध्यान रखा ।अगर में धरती पर आता तो मेरा भी सौदा करवा देता।अभी भी समय हे जाग जा।पत्नी मकान तक समाज शमशान तक, पुत्र अग्नि दान तक। तेरे कर्म सिर्फ मुझ तक आएंगे।जिसका तूने छीना हे।वो कल किसी और का था।आज तेरा हे कल किसी और का होगा

मेरे मान मुझ तक पोह्छना चाहता है तो उन तक पोहच जो तेरी जरा सी मदद से अपने जीवन के विध्न दूर कर सकते हे।पैसे का दान दे कर बड़ा नही बनेगा दिलो को जीत कर बड़ा बनेगा।सभी शक्तियां तुझको दे कर भेजा हे बस यह देखने की तू अपनी तकलीफ परेशानी के साथ किसी दूसरे का दर्द कितना महसूस करता है एवम मदद करता हे।में तेरे साथ हु चिंता ना कर

जो तू कर सकता हे पर जब देखो तब मेरी और निहारने लगता है अरे में तेरे साथ तेरी सोच तेरी श्वास में हूं

अलार्म बजा मेरी आंखे खुली।पर इस बार की आंखों ने भगवान मुझ में ही दिखा दिए ध्यान श्वास पर गया श्वास को प्रणाम कर दिन शुरु हुआ।मेरा लेख लिखने का अभिप्राय समझ ही गए होगे आपके अंदर के नारायण को मेरा साधुवाद।अगर अच्छा लगा हो तो किसी और की आंखे खोलने में मदद कर आगे फॉरवर्ड करे,







तुझ में नारायण मुझ में नारायण

कृष्णा मिश्रा


टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
thank you ji

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